tag:blogger.com,1999:blog-5390039473087582154.post1609546842197833010..comments2023-10-31T16:09:04.431+05:30Comments on Firdaus Diary: महबूब की परस्तिश...फ़िरदौस ख़ानhttp://www.blogger.com/profile/09716330130297518352noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-5390039473087582154.post-23065624669442148552010-05-07T18:47:57.585+05:302010-05-07T18:47:57.585+05:30bahut khoobsurat nazm....very romantic ya keh sakt...bahut khoobsurat nazm....very romantic ya keh sakte hain sufi style mein likhi gayi nazm...waahFauziya Reyazhttps://www.blogger.com/profile/01124118614272827003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5390039473087582154.post-12958919796243504672010-04-29T13:21:10.357+05:302010-04-29T13:21:10.357+05:30बिलकुल सही कहा कि जिस अल्लाह की हम उम्र भर इबादत क...बिलकुल सही कहा कि जिस अल्लाह की हम उम्र भर इबादत करते हैं....तो उसकी दोज़ख को भी क्यूँ नहिजं कुबूल कर सकते हैं.....? अच्छा हुआ पस्तिश लफ्ज़ नहीं हटाया.... यही लफ्ज़ इस नज़्म को मुकम्मल बनता है.... बहुत अच्छी लगी यह नज़्म...डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5390039473087582154.post-2330119271978380652010-03-02T21:32:57.751+05:302010-03-02T21:32:57.751+05:30मोहतरमा फ़िरदौस साहिबा, आदाब
मेरे महबूब...उम्र की ...मोहतरमा फ़िरदौस साहिबा, आदाब<br /><br />मेरे महबूब...उम्र की तपती दोपहरी में.....<br />घने दरख़्त की छांव हो तुम...<br />आपकी ये नज़्म में पेश किये गये चंद अल्फ़ाज़ हो सकता है..<br />मज़हब के जानकारों के नज़दीक उस हद तक जा रहे हों, <br />जहां हमारे ख्यालों को परवाज़ की इजाज़त नहीं होती...<br />लेकिन इससे नज़्म की खूबसूरती पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता......<br />आपकी नज़्म...आपके एहसासात की तर्जुमानी है. <br />ये कोई मज़हबी मोजू भी नहीं है..<br />जिसको लेकर किसी तरह की बहस छेड़ी जाये. <br />ये शायरी है..इसे शायरी की तरह ही लिया जाना मुनासिब होगा.<br />नज़्म को लेकर ऐसे सवाल खड़े करने वाले महबूब के लिये शायरी में <br /> ज़रा चंद मिस्ल पर गौर फ़रमायें <br />-खुदा भी आसमां से जब ज़मीं पर देखता होगा<br />मेरे महबूब को किसने बनाया सोचता होगा???<br /><br />- किसी पत्थर की मूरत से मुहब्बत का इरादा है<br />परस्तिश की तमन्ना है, इबादत का इरादा है...???<br /><br />-ए खुदा हर फ़ैसला तेरा मुझे मंज़ूर है....इसमें एक बंद है-<br />हर दुआ मेरी किसी दीवार से टकरा गई......<br />बेअसर होकर मेरी फ़रियाद वापस आ गई<br />...इस ज़मीं से आसमां शायद बहुत ही दूर है..<br />यानि ये शायर का अपना ख्याल है.....<br /><br />वैसे मेरा एक शेर है...जिसमें बात कुछ यूं भी कही गई है-<br />मांगता रहता हूं इक बुत को खुदा से अकसर<br />इश्क़ ने कैसा मुसलमान बना रखा है....<br /><br />शाहिद मिर्ज़ा शाहिदशाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5390039473087582154.post-16039322411649738762009-12-12T20:47:31.667+05:302009-12-12T20:47:31.667+05:30Firdaus Jee, Hindi ka Patrakar hu, koi Shayar nahi...Firdaus Jee, Hindi ka Patrakar hu, koi Shayar nahi hun. "Par PYAR ka izahar aur bekhauf kar diya, Jara bhi dar nahi laga jalim jamane ka ." Likhane se pahale Aapane jo Pyar-Vedana jheli Hogi, usaka andaz sahaz lagaya ja sakata hai. Yaad rakhana Naam unhi ka hota hai, jo jamane se Haat kar chalate hai. Jin logo mai Himmat nahi hoti voh ese Bagawat kahenge. BAHUT KHUB DIL SE LIKHA HAI....DAAD dete hain.Akhabarwalahttps://www.blogger.com/profile/03123372195076523627noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5390039473087582154.post-46136156646410805522009-12-03T18:30:14.145+05:302009-12-03T18:30:14.145+05:30wah .shayar apne dil ki baat apni shayari mein keh...wah .shayar apne dil ki baat apni shayari mein kehta hai.<br />I liked the most-'sulagti shab ki tanhaaee mein doodhiya chandni ki thandak ho tum...kya upmaayen hain!!IRFANhttps://www.blogger.com/profile/03558772132148066423noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5390039473087582154.post-84302470041221528992009-12-03T18:29:10.057+05:302009-12-03T18:29:10.057+05:30wah .shayar apne dil ki baat apni shayari mein keh...wah .shayar apne dil ki baat apni shayari mein kehta hai.<br />liked the most-'sulagti shab ki tanhaaee mein doodhiya chandni ki thandak ho tum...kya upmaayen hain!!IRFANhttps://www.blogger.com/profile/03558772132148066423noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5390039473087582154.post-77501669023140053072008-10-26T01:21:00.000+05:302008-10-26T01:21:00.000+05:30िफरदौस जी,प्रेम की कोमल भावना की बहुत प्रखर अिभव्य...िफरदौस जी,<BR/>प्रेम की कोमल भावना की बहुत प्रखर अिभव्यिकत् है आपकी नज्म ।Dr. Ashok Kumar Mishrahttps://www.blogger.com/profile/01184710406024316074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5390039473087582154.post-72870518212195229932008-10-20T17:00:00.000+05:302008-10-20T17:00:00.000+05:30नाम से हम किसी शख्स को तो जान सकते हैं मगर उसकी शख...नाम से हम किसी शख्स को तो जान सकते हैं मगर उसकी शख्सियत को नहीं <BR/>वैसे भी नाम में क्या रखा है गुलाब को किसी भी नाम से पुकारो गुलाब गुलाब रहेगा. <BR/>अगर आप चाहें तो alexsmart09@gmail.com पर मेल कर सकती हैं.Unknownhttps://www.blogger.com/profile/05059576569218626874noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5390039473087582154.post-2854960535102736242008-10-20T15:04:00.000+05:302008-10-20T15:04:00.000+05:30मेरे ताबिन्दा ख्यालों मेंकभी देखोसरापा अपनामैंनेदु...मेरे ताबिन्दा ख्यालों में<BR/>कभी देखो<BR/>सरापा अपना<BR/>मैंने<BR/>दुनिया से छुपकर<BR/>बरसों<BR/>तुम्हारी परस्तिश की है...<BR/><BR/>सुब्हान अल्लाह... <BR/>आपने महबूब को ख़ुदा बना रखा है...कितना ख़ुशनसीब होगा वो जिसके लिए ऐसी नज़्म लिखी जाए...हमें तो उससे रश्क हो रहा है...मौसमhttps://www.blogger.com/profile/13303920834566218702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5390039473087582154.post-2135576479520527662008-10-20T14:04:00.000+05:302008-10-20T14:04:00.000+05:30alex साहब, क्या हम आपका नाम जान सकते हैं...?alex साहब, क्या हम आपका नाम जान सकते हैं...?फ़िरदौस ख़ानhttps://www.blogger.com/profile/09716330130297518352noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5390039473087582154.post-29098830758658989792008-10-20T13:38:00.000+05:302008-10-20T13:38:00.000+05:30वैसे बशीर बद्र साहब ने कुछ कहा है ज़रा उस पर भी गौ...वैसे बशीर बद्र साहब ने कुछ कहा है ज़रा उस पर भी गौर फरमा लें <BR/>सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जायेगा <BR/>इतना मत चाहो उसे वो बेवफा हो जायेगा <BR/>मोहतरमा बुरा ना माने तो इतना अर्ज़ करने की गुस्ताखी करना चाहता हूँ की वो महबूब भी क्या महबूब जो इशारों को ना समझ पाया हो और उससे अपनी मुहब्बत को बयाँ करने के हालत हो जाएँ. महबूब तो ख़ुद ही इससे भी ज्यादा तड़प और कशिश महसूस कर रहा होगा. वैसे इस नज़्म में अपनी मुहब्बत को बड़ी ही खूबसूरती से लफ्जों में पिरोया गया है.Unknownhttps://www.blogger.com/profile/05059576569218626874noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5390039473087582154.post-9133409772462415912008-10-18T21:11:00.000+05:302008-10-18T21:11:00.000+05:30फि़रदौस गुनाह है या नहीं ये तो बाद में पता चलेगा, ...फि़रदौस गुनाह है या नहीं ये तो बाद में पता चलेगा, परस्तिश का सबसे बडा़ नुकसान तो यही नज़र आ रहा है कि है कि महबूब का दिमाग़ ख़राब हो जाता है। वो सचमुच देवता की तरह सोचने लगता है और ये तो पता ही है न कि देवता के भक्तों की संख्या का कोई ठिकाना नहीं...<BR/><BR/>खै़र इस बात को परे हटाकर बात करूं तो कहना चाहिए बहुत ख़ूब।शायदाhttps://www.blogger.com/profile/17484034104621975035noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5390039473087582154.post-15732538911891421502008-10-18T21:01:00.000+05:302008-10-18T21:01:00.000+05:30Aapke blog ka link main Roushan ke blog per dekhi ...Aapke blog ka link main Roushan ke blog per dekhi aur wahan se main pahli baar yahan aai hun. Aapki poem achhi lagi.<BR/><BR/>Shukriya!<BR/><BR/>www.rewa.wordpress.comरेवा स्मृति (Rewa)https://www.blogger.com/profile/13005191329618003468noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5390039473087582154.post-28494689284112714902008-10-18T20:59:00.000+05:302008-10-18T20:59:00.000+05:30Bahut sunder! rgds.RewaBahut sunder! <BR/><BR/><BR/>rgds.<BR/>Rewaरेवा स्मृति (Rewa)https://www.blogger.com/profile/13005191329618003468noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5390039473087582154.post-42611014687830807682008-10-18T19:03:00.000+05:302008-10-18T19:03:00.000+05:30`parastish kee yan tak ki ay boot tujhe nazar mein...`parastish kee yan tak ki ay boot tujhe nazar mein sabhu kee khuda kar chale`Ek ziddi dhunhttps://www.blogger.com/profile/05414056006358482570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5390039473087582154.post-85319360599396250882008-10-18T12:44:00.000+05:302008-10-18T12:44:00.000+05:30सुभाष जी,जब इस दुनिया में ही कुछ न मिला तो उस दुनि...सुभाष जी,<BR/><BR/>जब इस दुनिया में ही कुछ न मिला तो उस दुनिया की उम्मीद कौन करे... मैं रोज़े-नमाज़ की पाबंद ज़रूर हूं, लेकिन जन्नत और दोज़क पर मुझे यक़ीन नहीं...(हालांकि मेरी यह सोच इस्लाम के उसूलों के ख़िलाफ़ है ) मैं मानती हूं...सब कुछ इसी दुनिया में है...ज़िन्दगी में अगर हमें वो खुशियां मिल जाएं, जो हम चाहते हैं तो यह दुनिया ही जन्नत है...अगर सारी उम्र दुख और परेशानियां ही मिलें तो यही ज़िन्दगी दोज़क बन जाती है...यह नज़्म भी काल्पनिक ही है...हक़ीक़त में ऐसा कोई इंसान नहीं मिलता, जिसके लिए ऐसी नज़्म लिखी जाए...अगर लिखी भी जाए तो...पछताना ही पड़ता है...क्योंकि इन जज़्बात की भला कौन क़द्र करता है... ? वैसे भी हर धर्म में हर सुख-सुविधा मर्दों के लिए ही है...इससे यह भी साबित होता है कि अल्लाह या ईश्वर (जो भी कहें) मर्द ही है...फ़िरदौस ख़ानhttps://www.blogger.com/profile/09716330130297518352noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5390039473087582154.post-67488203655640988562008-10-18T12:32:00.000+05:302008-10-18T12:32:00.000+05:30मुझ जोगन केमन-मंदिर में बसीमूरत हो तुमबेहद खूबसूरत...मुझ जोगन के<BR/>मन-मंदिर में बसी<BR/>मूरत हो तुम<BR/><BR/>बेहद खूबसूरत लिखी है यह ...रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5390039473087582154.post-23080716747136438852008-10-18T12:16:00.000+05:302008-10-18T12:16:00.000+05:30मेरे ताबिन्दा ख्यालों मेंकभी देखोसरापा अपनामैंनेदु...मेरे ताबिन्दा ख्यालों में<BR/>कभी देखो<BR/>सरापा अपना<BR/>मैंने<BR/>दुनिया से छुपकर<BR/>बरसों<BR/>तुम्हारी परस्तिश की है...<BR/><BR/>बहुत ख़ूब.अमिताभ मीतhttps://www.blogger.com/profile/06968972033134794094noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5390039473087582154.post-8324520497759251582008-10-18T11:15:00.000+05:302008-10-18T11:15:00.000+05:30उर्दू के ही किसी शायर का एक शेर याद आगया-जहाँ हजार...उर्दू के ही किसी शायर का एक शेर याद आगया-<BR/><BR/>जहाँ हजारों वरस की हूरें हो,<BR/>ऐसी जन्नत को ले के क्या करे कोई.<BR/>फ़िरदौसजी सुना है हिन्दुओं के धर्मग्रंथों में इस बात का आश्वासन दिया गया है कि जो पुरुष नेक काम करेंगे उन्हें स्वर्ग में अप्सरायें मिलेंगी.पर स्त्रियों के लिए कोई व्यवस्था का मुझे पता नहीं हैं.<BR/>आप इस्लाम धर्म की ज्ञाता हैं उस पर रोशनी डालें कि नेक काम करने वाले मर्दों को हूर औरतों के लिए क्या इंतज़ाम हैं.<BR/>वैसे ग़ालबि का मश्हूर शेर याद आ गया,<BR/><BR/>हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन,<BR/>दिल के बहलाने को ग़ालिब ख़याल अच्छा है.<BR/>हमारा धर्मग्रंथो का अध्ययन न के बराबर है.<BR/>सो कुछ भी नहीं कह सकते.<BR/> वैसे हमारी तो ब्लॉग जगत के छटे हुए पापियों में गणना होती हैं सो स्वर्ग मिलने से रहा. हमतो नर्क में मज़े करेंगे.<BR/>अगर हिंदू के स्वर्ग और मुस्लमानों के दोज़ख के बीच आवागमन की व्यवस्था हुई तो हम आपके दोज़ख में आपकी मिज़ाज पुर्सी के लिए आना चाहेंगे.<BR/>आप भी किसी रोज़ हमारी नर्क में तशरीफ़ ले आना. वैसे ग़ालिब चचा ने तो फ़र्माया था आमीन.subhash Bhadauriahttps://www.blogger.com/profile/12199661570434500585noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5390039473087582154.post-30768566240825747192008-10-18T10:53:00.000+05:302008-10-18T10:53:00.000+05:30इतनी खूबसूरत नज़्म लिखने के बाद अगर दोजख की आग में ...इतनी खूबसूरत नज़्म लिखने के बाद अगर दोजख की आग में जलना पड़े तो भी कुबूल होगा...शायर अपने महबूब से मोहब्बत करते हैं और ये परिस्तिश इश्क की है किसी रूप की नहीं...इश्क चाहे रब से हो या किसी और से क्या फर्क पड़ता है? ये एक एहसास है बल्कि बेहद खूबसूरत एहसास जो इंसान को इंसानियत सिखाता है इसे कोई कैसे ग़लत कह सकता है?<BR/>बहुत बहुत शुक्रिया आप का इस नज़्म के लिए.<BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5390039473087582154.post-34311147675118980782008-10-18T10:26:00.000+05:302008-10-18T10:26:00.000+05:30सदियों कीप्यासी धरती हूंबरसता-भीगतासावन हो तुममुझ ...सदियों की<BR/>प्यासी धरती हूं<BR/>बरसता-भीगता<BR/>सावन हो तुम<BR/>मुझ जोगन के<BR/>मन-मंदिर में बसी<BR/>मूरत हो तुम<BR/>"apne asstitv ka sjeev chitran, kya khun, sunder shabd kum hai..."<BR/><BR/>Regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.com